मैं चाहता हूँ अब
मैं चाहता हूँ अब,
तुमसे अपना रिश्ता तोड़ना,
तुमसे अपनी दुश्मनी बढ़ाना,
ताकि मैं सोच नहीं संकू,
मैं तुमसे प्यार करता हूँ,
इसीलिए मिलता हूँ रोज,
नये हसीन चेहरों से,
मेरे उन दुश्मनों से भी,
जो चाहते थे मुझको मिटाना।
मैं चाहता हूँ अब,
तुमको यह दिखाना,
कि मेरा भी बड़ा परिवार है,
तुम्हारे द्वारा किया गया मेरा अपमान,
प्रेरित करता है अब मुझको,
अपनों से फिर रिश्ता जोड़ने को,
इसीलिए अब है तुमसे नफरत।
मैं चाहता हूँ अब,
तुमसे कभी मुलाकात नहीं करुँ,
बन जाऊं तुमसे अजनबी,
ताकि नहीं डगमगाये मेरे कदम,
तेरा रूप और यौवन देखकर,
नहीं हो सकूँ मैं कमजोर,
तेरी बदनामी और बर्बादी देखकर।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)