Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Sep 2024 · 1 min read

मैं औपचारिक हूं,वास्तविकता नहीं हूं

मैं औपचारिक हूं,वास्तविकता नहीं हूं
महसूस करता हूं ,पर लिखता नहीं हूं
वैसे तो कई ख़रीदार है मेरे भी, पर
मैं वैसा शख़्स हूं जो बिकता नहीं हूं

-केशव

33 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Home Sweet Home!
Home Sweet Home!
R. H. SRIDEVI
4405.*पूर्णिका*
4405.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नौकरी
नौकरी
Rajendra Kushwaha
*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
*चाँदी को मत मानिए, कभी स्वर्ण से हीन ( कुंडलिया )*
Ravi Prakash
शादी के बाद में गये पंचांग दिखाने।
शादी के बाद में गये पंचांग दिखाने।
Sachin Mishra
न तो कोई अपने मौत को दासी बना सकता है और न ही आत्मा को, जीवन
न तो कोई अपने मौत को दासी बना सकता है और न ही आत्मा को, जीवन
Rj Anand Prajapati
वो मुझे
वो मुझे "चिराग़" की ख़ैरात" दे रहा है
Dr Tabassum Jahan
" करवा चौथ वाली मेहंदी "
Dr Meenu Poonia
* विदा हुआ है फागुन *
* विदा हुआ है फागुन *
surenderpal vaidya
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
#वर_दक्षिण (दहेज)
#वर_दक्षिण (दहेज)
संजीव शुक्ल 'सचिन'
*आज बड़े अरसे बाद खुद से मुलाकात हुई हैं ।
*आज बड़े अरसे बाद खुद से मुलाकात हुई हैं ।
Ashwini sharma
बहने दो निःशब्दिता की नदी में, समंदर शोर का मुझे भाता नहीं है
बहने दो निःशब्दिता की नदी में, समंदर शोर का मुझे भाता नहीं है
Manisha Manjari
क्या मिटायेंगे भला हमको वो मिटाने वाले .
क्या मिटायेंगे भला हमको वो मिटाने वाले .
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
तेरे होने से ही तो घर, घर है
तेरे होने से ही तो घर, घर है
Dr Archana Gupta
कौन हूं मैं?
कौन हूं मैं?
Rachana
कभी जब आपका दीदार होगा।
कभी जब आपका दीदार होगा।
सत्य कुमार प्रेमी
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
हम जानते हैं - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
🥀 *गुरु चरणों की धूल*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
बेईमानी का फल
बेईमानी का फल
Mangilal 713
यार मेरा
यार मेरा
ओसमणी साहू 'ओश'
" परख "
Dr. Kishan tandon kranti
..
..
*प्रणय प्रभात*
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
चर्बी लगे कारतूसों के कारण नहीं हुई 1857 की क्रान्ति
कवि रमेशराज
କାଗଜ ପକ୍ଷୀ
କାଗଜ ପକ୍ଷୀ
Otteri Selvakumar
नया साल
नया साल
Mahima shukla
मन की पीड़ा
मन की पीड़ा
पूर्वार्थ
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Seema Garg
दान
दान
Neeraj Agarwal
अगर हो तुम सजग
अगर हो तुम सजग
Bimal Rajak
Loading...