Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2024 · 1 min read

मैंने बेटी होने का किरदार किया है

तुम्हें मेरा श्रृंगार करना पसंद था न,
आओ देखो मैंने अपना श्रृंगार किया है।
आज लोग मुझे आकर दुआएं दे रहे है
मैंने आज एक बेटी होने का किरदार किया है।।

यूँ इतने दिनों से मैं तेरे इश्क़ के साये में रही
मैंने कभी भी नहीं किसी का इंतेजार किया है।
बहुत सारे लोग आये – गए जिंदगी में मेरे
मैंने ना- कबूल हर किसी का इज़हार किया है।।

एक दुल्हन का लिबाज ओढ़े मैं इंतेजार कर रही हूँ
तुमने मेरी जिंदगी को बर्बाद किया है।
और सबाओं की तरह घूमती – फिरती थी तेरे इश्क़ में
आज तेरे इश्क़ ने मुझे जिंदा लाश किया है।।

तुम्हें पसंद था मुझे सजते – संवरते देखना,
मैंने आज उसी लहजे में श्रृंगार किया है।
और शादी हो रही है आज मेरी किसी और से
मैंने आज तुमसे पहले पापा की पगड़ी का सत्कार किया है।।

96 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Madhuyanka Raj
View all

You may also like these posts

पेड़ पौधे और खुशहाली
पेड़ पौधे और खुशहाली
Mahender Singh
मेरा लोकतंत्र महान -समसामयिक लेख
मेरा लोकतंत्र महान -समसामयिक लेख
Dr Mukesh 'Aseemit'
इस बरसात में
इस बरसात में
dr rajmati Surana
- उगते सूर्य को करते सब प्रणाम -
- उगते सूर्य को करते सब प्रणाम -
bharat gehlot
The fell purpose of my hurt feelings taking a revenge,
The fell purpose of my hurt feelings taking a revenge,
Chaahat
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
मैं कहना भी चाहूं उनसे तो कह नहीं सकता
Mr.Aksharjeet
बुरा किसी को नहीं समझना
बुरा किसी को नहीं समझना
Rambali Mishra
"साहस"
Dr. Kishan tandon kranti
हम सभी को लिखना और पढ़ना हैं।
हम सभी को लिखना और पढ़ना हैं।
Neeraj Agarwal
*शत-शत जटायु का वंदन है, जो रावण से जा टकराया (राधेश्यामी छं
*शत-शत जटायु का वंदन है, जो रावण से जा टकराया (राधेश्यामी छं
Ravi Prakash
रपटा घाट मंडला
रपटा घाट मंडला
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
जिस प्रकार इस धरती में गुरुत्वाकर्षण समाहित है वैसे ही इंसान
Rj Anand Prajapati
माँ
माँ
Dr Archana Gupta
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Savitri Dhayal
जीवन को सुखद बनाने की कामना मत करो
जीवन को सुखद बनाने की कामना मत करो
कृष्णकांत गुर्जर
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU SHARMA
कह रहे हैं मैं बुरी हूँ लेकिन
कह रहे हैं मैं बुरी हूँ लेकिन
Shweta Soni
जून का महीना जो बीतने वाला है,
जून का महीना जो बीतने वाला है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
कविता 10 🌸माँ की छवि 🌸
Mahima shukla
मजहब का नही पता, सनातन का पता बन जायेगा,
मजहब का नही पता, सनातन का पता बन जायेगा,
P S Dhami
हे!जगजीवन,हे जगनायक,
हे!जगजीवन,हे जगनायक,
Neelam Sharma
हृदय कुंज  में अवतरित, हुई पिया की याद।
हृदय कुंज में अवतरित, हुई पिया की याद।
sushil sarna
जब जब हमको याद करोगे..!
जब जब हमको याद करोगे..!
पंकज परिंदा
"शिक्षक दिवस "
Pushpraj Anant
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
तेरी मौजूदगी में तेरी दुनिया कौन देखेगा
Rituraj shivem verma
खुद को भी
खुद को भी
Dr fauzia Naseem shad
🙅आज का सवाल🙅
🙅आज का सवाल🙅
*प्रणय*
वफा से होकर बेवफा
वफा से होकर बेवफा
gurudeenverma198
गीत- हरपल चाहूँ तुझे निहारूँ...
गीत- हरपल चाहूँ तुझे निहारूँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
हमारी काबिलियत को वो तय करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
Loading...