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17 Jul 2022 · 1 min read

मैंने देखा हैं मौसम को बदलतें हुए

मैंने देखा हैं मौसम को बदलतें हुए
पर तुम कब बदल गये
पता ना चला
मैंने देखा हैं तारों को टूटते हुए
पर तुम कब रूठ गये
पता ना चला
मैंने देखा हैं बदलो को गरजते हुए
पर तुम कब चुप हो गए
पता ना चला
मैंने देखा हैं इंद्रधनुष को रंग बिखेरते हुए
पर तुम कब सवर गये
पता ना चला
मैंने देखा हैं बारिश को बरसते हुए
पर तुम कब थम गये
पता ना चला
मैंने देखा है देर रात तक जागते हुए
पर तुम कब सो गये
पता ना चला
मैंने देखा है उनको साथ चलते हुए
पर तुम कब किनारा कर गये
पता ना चला

Language: Hindi
Tag: कविता
3 Likes · 206 Views
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