मेरे मलिक तू

मेरे मालिक तू , खुशियों से उसकी झोली भर दे।
ना कोई हो उसको गम, ख्वाब उसके सच कर दे।।
मेरे मालिक तू ————————-।।
उसके गम तू मुझको दे दे, मेरी उम्र उसको दे दे।
नूर नहीं हो उसका कम, सितारा उसको तू कर दे।।
मेरे मालिक तू ————————–।।
चाहे वह कहीं भी रहे, उसको मिले फूलों का घर।
नश्तर चुभे नहीं पग में, रोशन उसकी राह कर दे।।
मेरे मालिक तू ————————–।।
गर खता हो उससे कभी, उसकी सजा मुझको देना।
अश्क उसके कभी ना बहे, आबाद उसको तू कर दे।।
मेरे मालिक तू ————————–।।
मेरा ख्वाब- मेरी दुहा, सच में यही है मेरे खुदा।
उसको नजर लगे नहीं, अता उसको सनाह कर दे।।
मेरे मालिक तू ————————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)