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31 Aug 2016 · 1 min read

मेरे चमन का माली वह

रक्षासूत्र
~~~~~
सह कर ताप साप सब करता, सीमा की रखवाली वह
करूँ दुआऐं उसके खातिर,मेरे चमन का माली वह।।

त्याग किया अपनी खुशियों का,जिनके खातिर सैनिक ने
रौंद रहे हैं बगिया उसकी, बनकर दुष्ट मवाली वह।।

हारा है वह तो उनसे बस, संग उसी के रहते हैं
अपने बन कर धोखा देते, खाते उसकी थाली वह।।

मिली शहाहद अगर उसे तो, नींद चैन की वो सोया
पर दुश्मन की नींद उङाकर, बनता एक सवाली वह।।

रखे धार पर जीवन अपना, मझ में हरदम रहता है
कंटक पथ को ही चुनता है,मंजिल सदा दुनाली वह।।

नहीं उम्मीदें ढाल बनाता, कर्मठता को अपनाता
मार भगाये दुश्मन पल में , रण को करता खाली वह।।

भारत माँ की रक्षा करता, प्रभु उसकी रक्षा करना
भेजूं रक्षाबंधन उसको, बनकर दुर्गा काली वह।।
~मंजु वशिष्ठ राज~

1 Comment · 258 Views
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