Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2016 · 1 min read

मेरे घर का पता……….(डी. के. निवातियाँ)

न पूछो यारो तुम मुझ से मेरे घर का पता,
अभी तो मै खुद ही के घर से अनजान हूँ !
कहने को तो ये सारा जहान मेरा अपना है,
खुद इस जिस्म में चंद सांसो का मेहमान हूँ ।I

!
!
!

डी. के. निवातियाँ_______!

Language: Hindi
704 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डी. के. निवातिया
View all

You may also like these posts

■आप देखेंगे जल्द■
■आप देखेंगे जल्द■
*प्रणय*
कलयुग में कुरुक्षेत्र लडों को
कलयुग में कुरुक्षेत्र लडों को
Lodhi Shyamsingh Rajput "Tejpuriya"
बम से दुश्मन मार गिराए( बाल कविता )
बम से दुश्मन मार गिराए( बाल कविता )
Ravi Prakash
तेजा दर्शन महोत्सव
तेजा दर्शन महोत्सव
Anop Bhambu
जुदाई का प्रयोजन बस बिछड़ना ही नहीं होता,
जुदाई का प्रयोजन बस बिछड़ना ही नहीं होता,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
“पूत कपूत तो क्या धन संचय, पूत सपूत तो क्या धन संचय” अर्थात
“पूत कपूत तो क्या धन संचय, पूत सपूत तो क्या धन संचय” अर्थात
ललकार भारद्वाज
हिन्दुस्तानी हे हम
हिन्दुस्तानी हे हम
Swami Ganganiya
हम भी बदल न जायें
हम भी बदल न जायें
Sudhir srivastava
सुनो
सुनो
sheema anmol
मुल्क का नक्शा ऐसा नहीं होता
मुल्क का नक्शा ऐसा नहीं होता
अरशद रसूल बदायूंनी
जटिलताओं के आगे झुकना
जटिलताओं के आगे झुकना
VINOD CHAUHAN
4299.💐 *पूर्णिका* 💐
4299.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
Nitu Sah
पश्चिम का सूरज
पश्चिम का सूरज
डॉ० रोहित कौशिक
बताओ हम क्या करें
बताओ हम क्या करें
Jyoti Roshni
कविता
कविता
Rambali Mishra
दहेज
दहेज
krupa Kadam
The beauty of being absent :
The beauty of being absent :
पूर्वार्थ देव
बारिश पुकार कर, कहती है यार से,,
बारिश पुकार कर, कहती है यार से,,
Neelofar Khan
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
लिखा नहीं था नसीब में, अपना मिलन
gurudeenverma198
*खादिम*
*खादिम*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
" हकीकत "
Dr. Kishan tandon kranti
जज़्ब करना
जज़्ब करना
Chitra Bisht
बाप ने शादी मे अपनी जान से प्यारा बेटी दे दी लोग ट्रक में झा
बाप ने शादी मे अपनी जान से प्यारा बेटी दे दी लोग ट्रक में झा
Ranjeet kumar patre
नश्वर सारा जीव जगत है सबने ही बतलाया
नश्वर सारा जीव जगत है सबने ही बतलाया
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
जब साँसों का देह से,
जब साँसों का देह से,
sushil sarna
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
ये ईश्वर की दया-दृष्टि ही तो है
Ajit Kumar "Karn"
मुलाकात अब कहाँ
मुलाकात अब कहाँ
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
बचपन बनाम पचपन
बचपन बनाम पचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
सोचो मन के उस हद तक
सोचो मन के उस हद तक
मनोज कर्ण
Loading...