मेरी सादगी को देखकर सोचता है जमाना

मेरी सादगी को देखकर सोचता है जमाना
अपनी गरीब कलम से भला क्या लिखूंगा
मिटा ना पाओगे मेरी हस्ति को तुम कभी
लिखने पर आया तो मैं वो सामा लिखूंगा !!
कवि दीपक सरल
मेरी सादगी को देखकर सोचता है जमाना
अपनी गरीब कलम से भला क्या लिखूंगा
मिटा ना पाओगे मेरी हस्ति को तुम कभी
लिखने पर आया तो मैं वो सामा लिखूंगा !!
कवि दीपक सरल