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5 May 2022 · 1 min read

‘मेरी यादों में अब तक वे लम्हे बसे’

मेरी यादों में अब तक वे लम्हे बसे।

हिल गया था ये आंचल कभी ज़िक्र पर,
जब अदब से मुझे याद तूने किया।
तेरी यादों में बस मेरी तस्वीर थी,
मुझको जीवन का अनमोल तोहफा दिया।।

दिन की बेताबियों का हुआ था असर,
अनवरत साँझ ने राह तेरी तकी।
कब मिलन की वे घड़ियाँ सिमटती गयीं,
रात भी टिमटिमा कर बुझी उस घड़ी।।

दिन ने चख था लिया स्वाद यूँ वस्ल का,
होंठ पहरों तलक थरथराते मिले।
रात आयी तो आशाएं उन्मुक्त थीं,
दूर तक दीप ही जगमगाते मिले।।

चाँदनी भायी कब आँख की ओट को?
तुझ से आँखें मिला, चाँद फीका रहा।
मुँह में मिश्री लिये, रात शरमाई – सी,
स्वाद सुधियों का तेरी था मीठा रहा।।

मेरी यादों में अब तक वे लम्हे बसे।

स्वरचित
रश्मि लहर
लखनऊ

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 211 Views
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