मेरी दादी के नजरिये से छोरियो की जिन्दगी।।

सुबह चार बजे से शुरू हो जाना चाहिए दिन।
किसी भी कार्य में सफलता हासिल करने के लिए इस क्षण से ,वह कार्य शुरू करना आवश्यक है।
दिन रात तानों की बरसात नही होने से छोकरी अच्छी इन्सान नही बनती।
क्नयायों को थोरी शांत स्वभाव की ही होनी चाहिए ठिक लक्ष्मी माता के स्वरूप जैसे।
छोरियो को देना चाहिए उनकी स्वाधीनता पर लगाम।
नही तो कर आएँगी कोई उल्टा सीधा काम।
उनकी नौकरियों पर लगाए जा रहे हैं मनाही।
डाक्टर , टीचर , कूक या गृह वधु काम है बस यही।
लड़कों से बात करना है दण्डनीय अपराध।
अरे इन लड़कियों को कोई तो बेड़ी से बाँध।
शादी के बाद क्या करेगी, काम तो कुछ आता नही।
“”अरे नारी है कब किसी से हारी।
उसके बिना है सूनी जग सारी।
रंग रूप भाड़ में जाए।
कमाई रौनक घर लाए।'””
अगर कोई पूछे नौकरी करके घर को समय कैसे देती हो,
मैं जवाब दूँगी जैसे आप मेरी जिन्दगी में टाँग अड़ाते हो।