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2 Jun 2023 · 1 min read

मेरी कलम

कल मैंने एक रिश्ते को पहचान दी थी
आज उसी की टूटी हुई डोरी मेरे हाथ में थी
कल तक जिसे अपना सबसे करीबी समझा
उसी से दूर होने के बाद आज मेरे दिमाग में थी
मेरे आंसुओं से ज्यादा अच्छे से उसे कौन जानेगा
पर आज मेरी आंखों में कोई बरसात ना थी
दुख का दरिया कभी समंदर कभी तूफान बना
आज भी दुख था मगर वह बात ना थी
विश्वास जब भी किया धोखा खाया
यह बात अब भी मेरी कलम लिखने को तैयार ना थी।

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 433 Views
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