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27 Sep 2016 · 1 min read

मेरा प्रेम

शब्दो के जोड तोड से
गणित की तरह
जो हल किया जाये
नही है वो प्रेम

उतार सकता है जो
खुदा के चेहरे से नकाब
वो मजबूत हाथ है प्रेम
जीती जा सकती है जिससे
बडी से बडी जंग
वो हथियार है प्रेम

किसी नदी की क्षीण रेखा नहीं
समुद्र का विस्तार है प्रेम
जो गुंजित कर सकती है
सारे ब्रहमाण्ड को
वो झंकार है प्रेम

Language: Hindi
1 Comment · 360 Views
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