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15 Aug 2019 · 1 min read

फ़ौजी वाला त्यौहार आ गया।

आओ साथियों देखो ये, आज मेरा त्यौहार आ गया ।
गणतंत्र दिवस के रूप हुआ, सपना साकार आ गया।।

ये हिन्द वतन है यहाँ हमेशा, रिस्तो का पर्व मनाते हैं।
राखी पे भाई सदा बहन की, रक्षा का धर्म निभाते है।।

भैयादूज पे बहन भाई के, इज्जत पे वारी जाती है।
करवांचौथ पे पति संग पत्नी, चाँद देख के आती है।।

पिता करे गर कन्यादान तो, मामा इमली घोटाते है।
भाई भरते भात बहन के, जीजा सेहरा बंधवाते है।।

बुआ,भतीजी और बहन को, हर खुशियो में है नेग मिला।
हर रिस्तो में हम शामिल पर, सोचो हमको क्या टैग मिला।।

पर आज साथियों छब्बीस जनवरी, का त्यौहार आ गया।
हाँजी हम सरहदी मतवालों का, परेड राजपथ पर छा गया।।

पर क्या होगा कुछ फूल मालाएं, शहीदों पे लोग चढ़ाएंगे।
पर हम जो यहाँ अभी ज़िंदा है, उनकी खिल्ली उड़ाएंगे।।

कभी कोई कनकौआ हमको, बलात्कारी बतला जाता।
और यहाँ की जनता मिडिया, उसपे क्या धूम मचा जाता।।

कुछ ख़ास कसीदे लोग पढ़ेंगे, उन आजादी के परवानो पे।
कल फिर आजादी के रक्षक, सफर करेंगे रेल के पायदानों पे।।

पर मन भूल गया तन भूल गया, न याद रहा ये दौर मुझे।
जहाँ बीसरे याद किये जाते, नही करता कोई गौर इसे।।

अब कल की सोच क्यों हो दुःखी, आज सबका प्यार आ गया।
आज तो हमारा त्यौहार आ गया, फ़ौजी वाला त्यौहार आ गया।।

©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित २५/०१/२०१६ )

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 154 Views

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