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23 Sep 2016 · 1 min read

मेरा ठिकाना-2—मुक्तक —डी के निवातियाँ

अब किस किस को बतलाऊँ अपना ठिकाना
सीमा पर रहता हूँ, हर दिशा है आना जाना
प्रेम से पुकारते है लोग मुझे कहकर जवान
कर्म – धर्म है मेरा इस माटी पर मिट जाना !!




डी के निवातियाँ_____@@@

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 210 Views
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