Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2023 · 1 min read

आख़री तकिया कलाम

मेरा आख़री तकिया कलाम यही है , मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ ताकि जिंदगी को कोई भी दुबारा शुरू कर सके , और ये देखे ,पढ़े की ‘ नही कुछ भी नही रखा है इस बवाली और उतवाली जिंदगी में ‘ जिसके लिए हम थरथरा रहे हैं
मेरी आखिरी इच्छा भी यही है ।

-rohit

1 Like · 88 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
विपक्ष आत्मघाती है
विपक्ष आत्मघाती है
Shekhar Chandra Mitra
■ आज का मुक्तक / काश....
■ आज का मुक्तक / काश....
*Author प्रणय प्रभात*
फितरत
फितरत
Dr.Khedu Bharti
क्या होता है पिता
क्या होता है पिता
gurudeenverma198
दोहा
दोहा
Dushyant Baba
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
Ashok deep
मै वह हूँ।
मै वह हूँ।
Anamika Singh
बजट का समायोजन (एक व्यंग)
बजट का समायोजन (एक व्यंग)
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
यह दुनिया भी बदल डालें
यह दुनिया भी बदल डालें
Dr fauzia Naseem shad
भोले शंकर ।
भोले शंकर ।
Anil Mishra Prahari
छत्तीसगढ़ के युवा नेता शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana
छत्तीसगढ़ के युवा नेता शुभम दुष्यंत राणा Shubham Dushyant Rana
Bramhastra sahityapedia
मिलेंगे लोग कुछ ऐसे गले हॅंसकर लगाते हैं।
मिलेंगे लोग कुछ ऐसे गले हॅंसकर लगाते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
💐प्रेम कौतुक-315💐
💐प्रेम कौतुक-315💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
दिल -ए- ज़िंदा
दिल -ए- ज़िंदा
Shyam Sundar Subramanian
पुष्प की पीड़ा
पुष्प की पीड़ा
rkchaudhary2012
नसीब
नसीब
Buddha Prakash
*मिली जिसको भी सत्ता, आदमी मदहोश होता है (मुक्तक)*
*मिली जिसको भी सत्ता, आदमी मदहोश होता है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
पता नहीं कब लौटे कोई,
पता नहीं कब लौटे कोई,
महेश चन्द्र त्रिपाठी
फितरत
फितरत
Kanchan Khanna
विरह/बसंत
विरह/बसंत
लक्ष्मी सिंह
कहां तक चलना है,
कहां तक चलना है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
जिन्दगी की अहमियत।
जिन्दगी की अहमियत।
Taj Mohammad
फितरत,,,
फितरत,,,
Bindravn rai Saral
नींबू के मन की वेदना
नींबू के मन की वेदना
Ram Krishan Rastogi
इंसानियत का कत्ल
इंसानियत का कत्ल
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
अब की बार पत्थर का बनाना ए खुदा
अब की बार पत्थर का बनाना ए खुदा
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
✍️हमसे लिपट गये✍️
✍️हमसे लिपट गये✍️
'अशांत' शेखर
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
सुबह भी तुम, शाम भी तुम
Writer_ermkumar
“मेरी कविता का सफरनामा ”
“मेरी कविता का सफरनामा ”
DrLakshman Jha Parimal
रात
रात
अंजनीत निज्जर
Loading...