Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2023 · 1 min read

आख़री तकिया कलाम

मेरा आख़री तकिया कलाम यही है , मैं सब कुछ लिखना चाहता हूँ ताकि जिंदगी को कोई भी दुबारा शुरू कर सके , और ये देखे ,पढ़े की ‘ नही कुछ भी नही रखा है इस बवाली और उतवाली जिंदगी में ‘ जिसके लिए हम थरथरा रहे हैं
मेरी आखिरी इच्छा भी यही है ।

-rohit

1 Like · 166 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"यही जीवन है"
Dr. Kishan tandon kranti
❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
❤️ DR ARUN KUMAR SHASTRI ❤️
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*हर शाम निहारूँ मै*
*हर शाम निहारूँ मै*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
यॅू तो,
यॅू तो,
TAMANNA BILASPURI
Use your money to:
Use your money to:
पूर्वार्थ
लाल उठो!!
लाल उठो!!
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
विनाश नहीं करती जिन्दगी की सकारात्मकता
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"नींद की तलाश"
Pushpraj Anant
ज़ेहन पे जब लगाम होता है
ज़ेहन पे जब लगाम होता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
“दो बूँद बारिश की”
“दो बूँद बारिश की”
DrLakshman Jha Parimal
सारी जिंदगी की मुहब्बत का सिला.
सारी जिंदगी की मुहब्बत का सिला.
shabina. Naaz
2942.*पूर्णिका*
2942.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
फुर्सत से आईने में जब तेरा दीदार किया।
Phool gufran
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
आसमाँ मेें तारे, कितने हैं प्यारे
The_dk_poetry
व्यक्ति को ख्वाब भी वैसे ही आते है जैसे उनके ख्यालात होते है
व्यक्ति को ख्वाब भी वैसे ही आते है जैसे उनके ख्यालात होते है
Rj Anand Prajapati
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
आप सुनो तो तान छेड़ दूं
Suryakant Dwivedi
आइसक्रीम के बहाने
आइसक्रीम के बहाने
Dr. Pradeep Kumar Sharma
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
।।श्री सत्यनारायण व्रत कथा।।प्रथम अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*गर्मी पर दोहा*
*गर्मी पर दोहा*
Dushyant Kumar
शहनाई की सिसकियां
शहनाई की सिसकियां
Shekhar Chandra Mitra
किताब
किताब
Neeraj Agarwal
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
അക്ഷരങ്ങൾ
അക്ഷരങ്ങൾ
Heera S
अपनी पहचान को
अपनी पहचान को
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक _ दिखावे को ....
मुक्तक _ दिखावे को ....
Neelofar Khan
संस्कारों को भूल रहे हैं
संस्कारों को भूल रहे हैं
VINOD CHAUHAN
ये नामुमकिन है कि...
ये नामुमकिन है कि...
Ravi Betulwala
*जूते चोरी होने का दुख (हास्य व्यंग्य)*
*जूते चोरी होने का दुख (हास्य व्यंग्य)*
Ravi Prakash
Loading...