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1 May 2024 · 1 min read

मूक संवेदना

संवेदनाये क्या कहती है ?
दुख दर्द को खूब समझती है,
सुख की अनुभूती करती है,
मूक होकर भी शब्द कहती है।

संवेदनाये एक जाग्रति है,
चेतनाये कही जुड़ी है,
वेदनाये को सम्हाले हुए,
सुख दुःख की अनुभूूती है।

संवेदनाये सिर्फ जीवित है,
जीवन में ही बसती है,
स्वत: हृदय में जन्म लेती है,
मरण सन्न तो वेदना विहीन है।

संवेदनाये एक मूल है,
मानवता का अग्रदूत है,
दुःख में सहनुभूति रखती,
सुख में जाहिर करती खुशी।

संवेदनाये वो चेतन सा,
शक्ति जीवन कही मिलती है,
निरंतर बहती शांति भाव से,
पनपती नव रस जीवन का।

रचनाकार –
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

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