मूं खड़ो हूँ चुणावा म

(शेर) – पड़्यो पड़्यो मूं काई करतो , घर भी खाबा लाग्यो छो ।
कूद पड़्यो मूं चुणावां म , यो शौक मनै भी जाग्यो छो ।।
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दीज्यो दीज्यो जी तैं सब मनै वोट , मूं खड़ो हूं चुणावां म ।
रखज्यो रखज्यो जी तैं सब मारी लाज ,मूं खड़ो हूं चुणावां म ।।
दीज्यो दीज्यो जी तैं सब ————————।।
भूख गरीबी मिटावा रो , मारो चुणावी वादों ।
बेरोजगारी , भुखमरी को , हटवाबा रो वादों ।।
काकी भाभी सा तैं दीज्यो मनैं वोट , मूं खड़ो हूं चुनावां म ।
रखज्यो रखज्यो जी तैं सब मेरी लाज , मूं खड़ो हूं चुणावां म ।।
दीज्यो दीज्यो जी तैं सब ——————–।।
पाणी , बिजली री समस्या , मूं जरूर सुलझाऊं ।।
हॉस्पिटल,सड़का,स्कूल मूं , ताकै लिए बणवाऊं ।।
भाई बहिणों जी तैं दीज्यो मनैं वोट , मूं खड़ो हूं चुणावां म ।
रखज्यो रखज्यो जी तैं सब मारी लाज , मूं खड़ो हूं चुणावां म ।।
दीज्यो दीज्यो जी तैं सब ———————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी. आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
(नोट – आज से 22 वर्ष पूर्व स्वरचित रचना )