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4 Nov 2022 · 1 min read

मुस्कुराहट

मुस्कुराहटो पर इस क़दर फ़िदा हूं में
कभी पागल तो कभी दिवाना हूं में

करूं हर लम्हा रुख़-ओ-रूखसार की बाते
तसव्वुर में विसाल -ए- यार की बाते
नहीं समझ में आता हैं मैं कहां हूं मैं

काग़ज़ क़लम से दिरुबा दिलबर
ख़ून -ऐ- जिगर से नाम लिखकर
मेरी जां फना होता हूं मैं

कल्ब में बेहद कमी साहिब तेरी
आधूरी किस्मत जानम सजा मेरी
तेरे बिन दिलबर अधूरा हूं मैं

दिवाना तुने “ज़ुबैर” को कर डाला
बना बैठा खुदको तुझ जैसा
न पूछो मै क्या कहता हूं मैं

लेखक – ज़ुबैर खांन…..📝

Language: Hindi
Tag: कविता
62 Views
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