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31 Jan 2023 · 1 min read

*मुस्कुराने का यहाँ,हर एक को अधिकार है (हिंदी गजल/ गीतिका)*

*मुस्कुराने का यहाँ,हर एक को अधिकार है (हिंदी गजल/ गीतिका)*
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
(1)
मुस्कुराने का यहाँ, हर एक को अधिकार है
पर न जाने आदमी क्यों, आज भी खूँखार है
(2)
स्वर्ग धरती पर उतरने के लिए तैयार है
छोड़ना बस नफरतों की, आपको तलवार है
(3)
युद्ध का शुरुआत से, परिणाम यह हर बार है
जीत जाती नफरते हैं, हार जाता प्यार है
(4)
खेलकर तुझको सियासत क्या मिलेगा जिंदगी
सोच ले आखिर में तेरी, जीतकर भी हार है
(5)
आदमी है एक चाभी का खिलौना वक्त का
वक्त जब पूरा हुआ तो, आदमी बेकार है
————————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो. 9997615451

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