*मुस्कुराना सीखिए (गीतिका)*
मुस्कुराना सीखिए (गीतिका)
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(1)
जिंदगी की साँझ है अब मुस्कुराना सीखिए
नकली बतीसी ही सही, पर लगाना सीखिए
(2)
पहले जैसी आपकी मर्जी नहीं शायद चले
सबसे सामंजस्य अब थोड़ा बिठाना सीखिए
(3)
कोठरी में बंद हैं ढेरों पतंगे आज तक
दिल को लेकर हाथ में उनको उड़ाना सीखिए
(4)
दिल ही में घुट कर न रह जाए पुरानी कामना
यह जरूरी है किसी को तो बताना सीखिए
(5)
सर्दियों में भी तो होता है दुपहरी का समय
मूंगफलियॉं इस समय थोड़ी-सी खाना सीखिए
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451