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23 Oct 2022 · 1 min read

!! मुसाफिर !!

ऐ मुसाफिर तू सोच सोच के
कीमती पल क्यों बिताते हो,
एक लक्ष्य की दरिया की ओर
चलो उठो , बढ़े चलो ।

ऐ मुसाफिर तू कहां चला
जरा हमें भी तो बताते चलो
मिलकर साथ चलेंगे हम भी
उजाला की ज्योति जलाते चलो ।

इन मुसाफिरों का क्या कहना
दिनकर के पहले उठ के वो,
करते चले अपनों का काम
जरा हमें भी बताते चलो ।

मुसाफिरों की ये उल्लास उमंग
खुशी खुशी से बांटते चलो,
मिलकर गाकर धूम मचाकर
खुशी की मनसा बढ़ाते चलो ।

ऐ मुसाफिर तू सोच सोच के
कीमती पल क्यों बिताते हो ।।

राजा कुमार ‘चौरसिया’
सलौना,बखरी, बेगूसराय

Language: Hindi
Tag: कविता
4 Likes · 91 Views
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