Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2023 · 3 min read

मुफ्त में फिजियोथेरेपी (हास्य-व्यंग्य)

मुफ्त में फिजियोथेरेपी (हास्य-व्यंग्य)
■■■■■■■■■■■■■■■■
कल मैंने दफ्तर के अपने पुराने सहकर्मी श्रीमान भाई को देखा तो सच कहता हूं कलेजा मुंह को आ गया। उनके घर पर एक बड़ी-सी मशीन थी , जिस पर पट्टा पूरी रफ्तार के साथ दौड़ रहा था और उसी रफ्तार से श्रीमान भाई दौड़ते जा रहे थे । मैंने कभी श्रीमान भाई को मेहनत करते हुए नहीं देखा । दौड़ना तो दूर रहा, पैदल चलते हुए भी उन्हें बाजार में किसी ने आज तक नहीं देखा। वही व्यक्ति जिसने कभी रसोई से भोजन की थाली लाकर खाना नहीं खाया । सदैव डाइनिंग टेबल पर बैठकर उनकी श्रीमती जी खाना परोस कर लाती थी और एक-एक पूरी करके खिलाती थीं , आज उन्हीं श्रीमान भाई के घर का एक कमरा फिजियोथेरेपी सेंटर में मानो बदला हुआ था ।
मैंने रोनी सूरत बनाकर भाई से कहाः यह क्या हालत बना रखी है ?
वह बोले क्या बताएं ! पिछले तीस-पैंतीस साल से हम अपनी श्रीमती जी से झाड़ू-पोंछा और बर्तन मांजने से लेकर सारे काम करा रहे थे और खुद आराम से जिंदगी गुजार रहे थे। परिणाम यह है कि हम तो उनके चाचा लग रहे हैं और वह हमारी भतीजी लग रही हैं।
भाइयों और बहनों ! अब आप कुछ भी कहें लेकिन यह तो मानना पड़ेगा कि जिसने जवानी में मेहनत नहीं की, वह अधेड़ अवस्था में पैसा खर्च करके मेहनत करने के लिए मजबूर हो जाता है । उसका नाम फिजियोथेरेपी है यानी डॉक्टर के पास आप जाएंगे। वह आपसे हाथ पैर हिलाने की फीस लेगा और खुशी खुशी फीस देकर आप वापस आएंगे ।
जिन लोगों ने युवावस्था में श्रम का महत्व नहीं समझा, वे आराम से बिस्तर पर लेटे रहे। बिस्तर पर लेट कर सो गए और बिस्तर पर ही उठ कर बैठ गए तथा खाना भी वहीं बैठकर खा लिया । कभी कार से पैर नीचे न उतारा । सीधे दफ्तर जाकर कुर्सी पर बैठ गए और कुर्सी से उठकर सीधे कार में आ गए। फिर कार से घर पहुंचे फिर कुर्सी पर बैठ गए । मेहनत न करने का दुष्परिणाम तो भोगना ही पड़ता है ।
जिन लोगों ने अपने कपड़े अपने आप धोए, उन्होंने कपड़े धोने का खर्चा भी बचाया और बुढ़ापे में फिजियोथेरेपी सेंटर में जाकर फीस देने का खर्च भी बचा लिया। जो लोग साइकिल पर चढ़कर बाजार में घूमने गए, उनका काम सस्ते में हो गया। बाद में फिर फिजियोथेरेपी सेंटर में जाकर वहां रखी हुई साइकिल को फीस देकर चलाना पड़ता है। कई लोगों ने अपने पैरों का इस्तेमाल नहीं किया। एक जगह बैठे रहे। जबकि दूसरी ओर कुछ लोगों ने बाजार जाने के लिए अपने पैरों का प्रयोग किया और पैदल चलते हुए काफी दूर तक रोजाना घूमते रहे । उनका यह काम फ्री में हो गया। जो लोग आराम से बैठे रहे । सिवाय स्कूटर के कहीं गए ही नहीं ,उनको बुढ़ापा आया तो मशीन पर दौड़ना पड़ता है और मशीन पर चलना पड़ता है और इस काम के लिए फिजियोथेरेपी सेंटर को फीस देनी पड़ती है।
इसलिए अच्छा यही है कि बुढ़ापा आने से पहले थोड़ा शरीर को हिलाओ । हाथों को हिलाओ, पैरों को हिलाओ ।जब भी मौका मिले, कुछ न कुछ काम अपने हाथ में ले लो। पैसा बचाओ। झाड़ू लगाओ। पोंछा लगाओ ।कपड़े धोओ, उनको सुखाओ, झाड़ो, प्रेस करो। शरीर का परिश्रम जरूरी है ।कितने आनंद की बात है कि यह सब कार्य युवावस्था में मुफ्त में हम कर सकते हैं। जो लोग नहीं करते उन्हें फिजियो थेरेपी सेंटर में जाना पड़ता है और पैसा खर्च करना पड़ता है ।
वहां पर डॉक्टर बताते हैं कि आपने अपने पैर पिछले 35 साल से सही ढंग से नहीं चलाए थे , अब आप अमुक प्रकार की एक्सरसाइज करिए। आपने अपने हाथों का इस्तेमाल नहीं किया , अब आप अपने हाथों का इस्तेमाल इस मशीन पर करिए। आपकी गर्दन और कन्धे दर्द करने लगे हैं, क्योंकि आपने कभी काम नहीं किया । इसलिए सबसे अच्छा तरीका यही है कि मुफ्त में काम करो। समय की बचत भी करो, शरीर को भी स्वस्थ रखो। वरना पैसा देकर फिजियोथेरेपी सेंटर में काम करना पड़ेगा और तब मुंह से यही निकलेगा कि हमने युवावस्था में मेहनत नहीं की। अब अधेड़ावस्था में जबरदस्ती हमसे मेहनत कराई जा रही है। हे भगवान ये हमने क्या किया !
—————————————————————-
रचयिता :रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451

48 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.

Books from Ravi Prakash

You may also like:
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ज़िंदगी बन गई है सूखा शज़र।
ज़िंदगी बन गई है सूखा शज़र।
Surinder blackpen
सारी गलतियां ख़ुद करके सीखोगे तो जिंदगी कम पड़ जाएगी, सफलता
सारी गलतियां ख़ुद करके सीखोगे तो जिंदगी कम पड़ जाएगी, सफलता
dks.lhp
दिलों में है शिकायत तो, शिकायत को कहो तौबा,
दिलों में है शिकायत तो, शिकायत को कहो तौबा,
Vishal babu (vishu)
जुबां बोल भी नहीं पाती है।
जुबां बोल भी नहीं पाती है।
नेताम आर सी
चाहने वाले कम हो जाए तो चलेगा...।
चाहने वाले कम हो जाए तो चलेगा...।
Maier Rajesh Kumar Yadav
"गिल्ली-डण्डा"
Dr. Kishan tandon kranti
अच्छे दिन
अच्छे दिन
Shekhar Chandra Mitra
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उफ्फ यह गर्मी (बाल कविता )
उफ्फ यह गर्मी (बाल कविता )
श्याम सिंह बिष्ट
बादल
बादल
Shutisha Rajput
पापा की परी
पापा की परी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
ये आरजू फिर से दिल में जागी है
ये आरजू फिर से दिल में जागी है
shabina. Naaz
आजादी का
आजादी का "अमृत महोत्सव"
राकेश चौरसिया
इश्क़ का दस्तूर
इश्क़ का दस्तूर
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Tum to kahte the sath nibhaoge , tufano me bhi
Tum to kahte the sath nibhaoge , tufano me bhi
Sakshi Tripathi
कोई किसी का कहां हुआ है
कोई किसी का कहां हुआ है
Dr fauzia Naseem shad
*नेता सदा जवान 【कुंडलिया】*
*नेता सदा जवान 【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं
Vivek Pandey
Do you know ??
Do you know ??
Ankita Patel
"लक्ष्य"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
दोहे एकादश...
दोहे एकादश...
डॉ.सीमा अग्रवाल
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
"वो यादगारनामे"
Rajul Kushwaha
स्वयं को तुम सम्मान दो
स्वयं को तुम सम्मान दो
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
विमला महरिया मौज
🙋बाबुल के आंगन की चिड़िया🙋
🙋बाबुल के आंगन की चिड़िया🙋
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
THE GREAT BUTTER THIEF
THE GREAT BUTTER THIEF
Satish Srijan
माँ शारदे
माँ शारदे
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
💐प्रेम कौतुक-452💐
💐प्रेम कौतुक-452💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...