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16 May 2023 · 1 min read

तारीख

आज फिर इस महीने की वही तारीख आई है,
तुम्हारी तस्वीर देख आज फिर आँख भर आई है !

आसमां से एक टूटा सितारा भी न गिरा इस ज़मीं पर
सन्नाटा आसमां का पसर गया ज़िन्दगी की ज़मीं पर !

नादान सी उस ज़िन्दगी को जब समझ आने लगी थी
आस तुम्हारी आँखों की , ज़िन्दगी को हंसाने लगी थी !

कहाँ जाना था हमने खामोशी यूँ चुपके से उतर आएगी
गुनाह किये बगैर ही ज़िन्दगी यूँ बिन आंसू के रुलाएगी !

कराहती आवाज़ तुम्हारी आज भी लगाती है पुकार
जो कह न पाए तुम , वह सुनाती है बार बार !

यूँ तो चले जाते थे तुम बिन बताये हमें बाहर कई बार
पर तुम्हारा यूँ चले जाना ,अखर गया हमें इस बार !

बिना कोई आहट किये तुम फिर ज़िन्दगी में चले आना
शायद ज़िन्दगी के लबों को आ जाये फिर मुस्कुराना !

………………….डॉ सीमा (कॉपीराइट)

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