Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jul 2016 · 1 min read

मुझे तुमसे प्यार है बहुत

जानेमन मुझे तुमसे प्यार है बहुत,
तेरे बिन दिल ये बेकरार है बहुत.

ख़फा न हो तुम मुझसे मेरी नाजनीं,
तेरे आने से ये दिल गुलज़ार है बहुत.

मेरी दिलरुबा तुमने हर बार सम्भाला,
तेरी दूवाओं की मुझे दरकार है बहुत.

बातें मैं करता हूँ सभी से हँसकर ही,
बाकी मेरी जिंदगी में किरदार है बहुत.

मुकम्मल हुई कितनों को उन्हें गिन लो,
बाकी तो यहां इश्क के बीमार है बहुत.

भूला नहीं पाओगे तुम दूर होकर भी,
तेरे लौटने के मुझे आसार है बहुत.

दिल चाहता इसी वक्त तेरे पास आऊं,
वादे से हम अपने ही लाचार है बहुत.

राह-ए-इश्क से’ देव’ दूर नहीं जाऊंगा,
माना वफ़ा का रास्ता दुश्वार है बहुत.
__देवांशु

4 Comments · 440 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
You may also like:
वक़्त का तकाज़ा
वक़्त का तकाज़ा
Shekhar Chandra Mitra
हम ख़्वाब की तरह
हम ख़्वाब की तरह
Dr fauzia Naseem shad
यूँ इतरा के चलना.....
यूँ इतरा के चलना.....
Prakash Chandra
जिम्मेदारी और पिता
जिम्मेदारी और पिता
Dr. Kishan Karigar
छल
छल
Aman Kumar Holy
पूरी करता घर की सारी, ख्वाहिशों को वो पिता है।
पूरी करता घर की सारी, ख्वाहिशों को वो पिता है।
सत्य कुमार प्रेमी
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
*परिस्थिति चाहे जैसी हो, उन्हें स्वीकार होती है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
आप और हम जीवन के सच................एक सोच
Neeraj Agarwal
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
जिस सामाज में रहकर प्राणी ,लोगों को न पहचान सके !
DrLakshman Jha Parimal
आओ नमन करे
आओ नमन करे
Dr. Girish Chandra Agarwal
गीत गा रहा फागुन
गीत गा रहा फागुन
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ग़ज़ल
ग़ज़ल
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
#मेरे_दोहे
#मेरे_दोहे
*Author प्रणय प्रभात*
या ख़ुदा पाँव में बे-शक मुझे छाले देना
या ख़ुदा पाँव में बे-शक मुझे छाले देना
Anis Shah
दैनिक जीवन में सब का तू, कर सम्मान
दैनिक जीवन में सब का तू, कर सम्मान
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
निज धृत
निज धृत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जिस दिन तुम हो गए विमुख जन जन से
जिस दिन तुम हो गए विमुख जन जन से
Prabhu Nath Chaturvedi
रौशनी अकूत अंदर,
रौशनी अकूत अंदर,
Satish Srijan
प्रेम तो हर कोई चाहता है;
प्रेम तो हर कोई चाहता है;
Dr Manju Saini
" चर्चा चाय की "
Dr Meenu Poonia
5-सच अगर लिखने का हौसला हो नहीं
5-सच अगर लिखने का हौसला हो नहीं
Ajay Kumar Vimal
रोज हम इम्तिहां दे सकेंगे नहीं
रोज हम इम्तिहां दे सकेंगे नहीं
Dr Archana Gupta
मेरी प्रथम शायरी (2011)-
मेरी प्रथम शायरी (2011)-
लक्ष्मण 'बिजनौरी'
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
छिपकली बन रात को जो, मस्त कीड़े खा रहे हैं ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
✍️जुबाँ और कलम
✍️जुबाँ और कलम
'अशांत' शेखर
शिक्षा बिना है, जीवन में अंधियारा
शिक्षा बिना है, जीवन में अंधियारा
gurudeenverma198
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
सुखों से दूर ही रहते, दुखों के मीत हैं आँसू।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"फौजियों की अधूरी कहानी"
Lohit Tamta
इन्द्रधनुष
इन्द्रधनुष
Saraswati Bajpai
हम मानव यह भूल करतें हैं
हम मानव यह भूल करतें हैं
राकेश कुमार राठौर
Loading...