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7 Jul 2022 · 1 min read

मुझे छल रहे थे

जो अपने मेरे नही थे
मै उन्हें अपना बनाती रही
वें अपनेपन का नकाब ओढे
मुझे छल रहे थे, और
मै उनकी बातों मे आती रही
वें मुझे छल खुश हो रहे थे
और मै उनकी खुशी देखकर
ताली बजाती रही
इस क्रम मे कई बार जो सच मे
मेरे अपने थे
उनके दिलों को ठेस पहुँचाती रही।

~अनामिका

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
5 Likes · 4 Comments · 191 Views
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