*मुझसे मिलने तुम आते 【गीत】*

*मुझसे मिलने तुम आते 【गीत】*
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कौन भला मानेगा प्रभु, मुझसे मिलने तुम आते
(1)
प्रभु ! कितना सरल बुलाना तुमको, न खर्चा न पानी
प्रियतम तुमको सिर्फ प्यार से है आवाज लगानी
मन में लगन लिए मिलने की, हम आवाज लगाते
(2)
मधुर तुम्हारे आने ने सब राग-रंग-रस सोखा
सच्चे केवल तुम लगते हो, बाकी सब कुछ धोखा
घुले-मिले हम तुम ऐसे, अब अलग कहाँ रह जाते
(3)
जितनी देर संग में मिलता दर्शन नाथ तुम्हारा
मस्ती-नशा-इश्क यह प्रियतम लगता प्यारा-प्यारा
पता नहीं यह अमिय कृपा, क्यों तुम मुझ पर बरसाते
कौन भला मानेगा प्रभु मुझसे मिलने तुम आते
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अमिय = अमृत
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर(उ. प्र.)
मो. 99976 15451