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22 May 2022 · 1 min read

मुझको ये जीवन जीना है

रीते थे स्वप्न अभी तक जो
आशाएं थी कुम्हलाई सी ।
अवधान हटा सब पथ के अब
मुझको ये जीवन जीना है ।

कितने बसन्त निष्काम हुए
जीवन रंगों से भरने में ।
रंगहीन तूलिका में रंग भर
मुझको ये जीवन जीना है ।

पाषाण ढहे हैं तम के अब
छाया जिससे उल्लास घना ।
नीरवता में नव स्वर भर कर
मुझको ये जीवन जीना है ।

निज कर्तव्यों की वेदी पर
कितना कुछ बलिदान हुआ ।
कुछ प्राप्त हुए अधिकारों संग
मुझको ये जीवन जीना है ।

अब हटा आवरण मिथ्या का
मुझको मुझ सा ही होना है ।
कहती सांसों की ये प्रतिध्वनि
मुझको ये जीवन जीना है ।

Language: Hindi
Tag: गीत
4 Likes · 2 Comments · 207 Views
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