मुझको खुद मालूम नहीं

मुझको खुद मालूम नहीं,
मैं क्यों परेशान रहता हूँ,
मैं किसकी परवाह करता हूँ,
क्यों मैं चिंतित रहता हूँ,
क्यों बार बार विचार करता हूँ,
मुझको खुद मालूम नहीं।
कई बार सोचा भी कि ,
छोड़ दूं चिंता करना,
किसी की परवाह करना,
भूला दूँ सब रिश्ते,
लेकिन फिर सोचता हूँ,
क्यों ऐसा मैं सोचता हूँ,
मुझको खुद मालूम नहीं।
छोड़कर सारी शर्म-झिझक,
सब कुछ कह दूँ निर्भय होकर,
लेकिन रुक जाता हूँ ऐसा कहने को,
उनके पास जाकर बात करने को,
और कह नहीं पाता हूँ अपनी बात,
आखिर ऐसा भी क्या भय है,
मुझको खुद मालूम नहीं।
लेकिन जब भी आते हैं नजर,
वो मुझको परेशान होते हुए,
चेहरे पर निराशा लिये हुए,
उदासी और ऑंसू लिये हुए,
हो जाता हूँ मैं बेचैन तब,
बहने लगते हैं ऑंसू मेरे,
क्यों इतना किसंवेदनशील हूँ ,
मुझको खुद मालूम नहीं।
कुछ खासियत है उनमें,
जो बांधती है मुझको,
उनके बन्धन और प्यार से,
कुछ अहसान है मुझ पर,
इसलिए मुझको भी है,
प्रेम और मतलब उनसे,
लेकिन क्यों रहता हूँ ,
उनसे इस तरह दूर मैं,
मुझको खुद मालूम नहीं।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847