Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Nov 2024 · 1 min read

!मुझको इतना भी न सता ऐ जिंदगी!

!मुझको इतना भी न सता ऐ जिंदगी!
======================

ग़ज़ल

मुझ को इतना भी न सता ऐ जिंदगी,
क्या ख़ता है मेरी मुझे बता ऐ जिंदगी।
=======================

क्या बिगाड़ा हम ने तेरा, बता दे ज़रा,
तलब है मिलने की दे पता ऐ जिंदगी।
=======================

गुज़र रहे शबो रोज़,दौर ए मुसीबत में,
दी है खुशियाँ गर तो जता ऐ जिंदगी।
=======================

ग़म ए अश्क तुमने पीए है कभी बता,
हुई तो तुझ से भी है ख़ता ऐ जिंदगी।
======================

रुला के हंसाती कभी हंसा के रुलाती,
ज़रा बता तेरा है क्या मता ऐ जिंदगी।
=======================

ठहर के पूछ “जैदि” से तुझसे कितना,
है परेशाँ, हर ज़ईफ़ो-फ़ता ऐ जिंदगी।
=======================
मायने:-

सता:-कष्ट
शबो-रोज़:-दिन और रात
ग़म ए अश्क:-ग़म के आंसू
ख़ता:-भूल
मता :-विचार
ज़ईफ़ो-फ़ता:-बूढा और जवान आदमी

शायर :-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”
बीकानेर।

Language: Hindi
46 Views

You may also like these posts

सर्द हवाएं
सर्द हवाएं
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
थूकोगे यदि देख कर, ऊपर तुम श्रीमान
थूकोगे यदि देख कर, ऊपर तुम श्रीमान
RAMESH SHARMA
चल विजय पथ
चल विजय पथ
Satish Srijan
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
कइसन रोग कोरोना बा...
कइसन रोग कोरोना बा...
आकाश महेशपुरी
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
तु मैंनू प्यार दे
तु मैंनू प्यार दे
Swami Ganganiya
माँ
माँ
Harminder Kaur
4276.💐 *पूर्णिका* 💐
4276.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
स्त्रियाँ
स्त्रियाँ
Shweta Soni
जुदाई
जुदाई
Dipak Kumar "Girja"
सरकार बिक गई
सरकार बिक गई
साहित्य गौरव
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
नज़्म _ पिता आन है , शान है ।
Neelofar Khan
नज़र चुरा कर
नज़र चुरा कर
Surinder blackpen
मेरी सबसे ज्यादा जरूरी चीज
मेरी सबसे ज्यादा जरूरी चीज
पूर्वार्थ
9) दिल कहता है...
9) दिल कहता है...
नेहा शर्मा 'नेह'
"पृथ्वी"
Dr. Kishan tandon kranti
चाहे हो शह मात परिंदे..!
चाहे हो शह मात परिंदे..!
पंकज परिंदा
पानी से पानी पर लिखना
पानी से पानी पर लिखना
Ramswaroop Dinkar
जुदा नहीं होना
जुदा नहीं होना
Dr fauzia Naseem shad
मुक्तक –  अंत ही आरंभ है
मुक्तक – अंत ही आरंभ है
Sonam Puneet Dubey
🙅अजब-ग़ज़न🙅
🙅अजब-ग़ज़न🙅
*प्रणय*
,,........,,
,,........,,
शेखर सिंह
कविता
कविता
Rambali Mishra
आत्मा नित्य अखंड है, जहाँ नहीं कुछ भेद।
आत्मा नित्य अखंड है, जहाँ नहीं कुछ भेद।
Dr. Sunita Singh
Essence of Happiness
Essence of Happiness
Deep Shikha
*क्रोध की गाज*
*क्रोध की गाज*
Buddha Prakash
वो
वो
Ajay Mishra
खिलजी, बाबर और गजनवी के बंसजों देखो।
खिलजी, बाबर और गजनवी के बंसजों देखो।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
Loading...