Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 Jun 2023 · 1 min read

“मुखौटे”

मुखौटे ही मुखौटे दिखते हैं,
चेहरा तो कोई दिखता ही नहीं
मुस्कुराहटें भी फैली हैं यहां वहां
खुश होने के लिए कोई हंसता ही नहीं
आंखों में जीतना सूखापन
दिल में उतना भीगापन
जिस शख्स की जितनी महफिल रौनक
उस शख्स का उतना तन्हा मन
अब मन की कोई कहता ही नहीं
और मन कोई सुनता भी नहीं
शोर बहुत है सबके जीवन में
ये कहना सुनना होता ही नहीं…

स्वरचित
इंदु रिंकी वर्मा

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 103 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from इंदु वर्मा
View all
You may also like:
~पिता~कविता~
~पिता~कविता~
Vijay kumar Pandey
युवा भारत को जानो
युवा भारत को जानो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
💐प्रेम कौतुक-204💐
💐प्रेम कौतुक-204💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
भटक रहे अज्ञान में,
भटक रहे अज्ञान में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
शब्द : दो
शब्द : दो
abhishek rajak
*•* रचा है जो परमेश्वर तुझको *•*
*•* रचा है जो परमेश्वर तुझको *•*
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
इशारो ही इशारो से...😊👌
इशारो ही इशारो से...😊👌
N.ksahu0007@writer
दोस्ती और दुश्मनी
दोस्ती और दुश्मनी
shabina. Naaz
गम   तो    है
गम तो है
Anil Mishra Prahari
उर्दू वर्किंग जर्नलिस्ट का पहला राष्ट्रिय सम्मेलन हुआ आयोजित।
उर्दू वर्किंग जर्नलिस्ट का पहला राष्ट्रिय सम्मेलन हुआ आयोजित।
Shakil Alam
ख्वाहिश
ख्वाहिश
Neelam Sharma
"नींद का देवता"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा
माँ की आँखों में पिता / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
मां सरस्वती
मां सरस्वती
AMRESH KUMAR VERMA
मेरे हैं बस दो ख़ुदा
मेरे हैं बस दो ख़ुदा
The_dk_poetry
वीर तुम बढ़े चलो!
वीर तुम बढ़े चलो!
Divya Mishra
क्यों कहाँ चल दिये
क्यों कहाँ चल दिये
gurudeenverma198
#आज_का_सबक़
#आज_का_सबक़
*Author प्रणय प्रभात*
वक्त एक हकीकत
वक्त एक हकीकत
umesh mehra
कलयुगी की रिश्ते है साहब
कलयुगी की रिश्ते है साहब
Harminder Kaur
प्रार्थना(कविता)
प्रार्थना(कविता)
श्रीहर्ष आचार्य
कहां से दुआओं में असर आए।
कहां से दुआओं में असर आए।
Taj Mohammad
दोहा
दोहा
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अवधी मुक्तक
अवधी मुक्तक
प्रीतम श्रावस्तवी
भंडारे की पूड़ियाँ, देसी घी का स्वाद( हास्य कुंडलिया)
भंडारे की पूड़ियाँ, देसी घी का स्वाद( हास्य कुंडलिया)
Ravi Prakash
एक मौक़ा
एक मौक़ा
Shekhar Chandra Mitra
Book of the day: अर्चना की कुण्डलियाँ (भाग-2)
Book of the day: अर्चना की कुण्डलियाँ (भाग-2)
Sahityapedia
*आशिक़*
*आशिक़*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मां तो मां होती है ( मातृ दिवस पर विशेष)
मां तो मां होती है ( मातृ दिवस पर विशेष)
ओनिका सेतिया 'अनु '
एक लोग पूछ रहे थे दो हज़ार के अलावा पाँच सौ पर तो कुछ नहीं न
एक लोग पूछ रहे थे दो हज़ार के अलावा पाँच सौ पर तो कुछ नहीं न
Anand Kumar
Loading...