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24 Sep 2016 · 1 min read

मुक्तक

नज़र जिधर घुमाओ, उधर रिश्ते है, गोत्रजन है
रिश्ते बनाना आसान, उसे निभाना कठिन है
रिश्ते में घोलो प्यार और विश्वास का मिठास
फिर देखो, रिश्ते निभाना कितना आसान है |
***

बोलने से पहले धैर्य से सुनना चाहिए
दूसरों के दृष्टिकोण को समझना चाहिए
विचार विनिमय से दूरी कम हो जायगी
अखंड कुटुंब के लिए प्रेम सीखना चाहिए |

© कालीपद ‘प्रसाद’

Language: Hindi
328 Views
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