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26 Jul 2016 · 1 min read

मुक्तक

मन में छुपे हुए कुछ राज़ अभी गहरे हैं
पँख पसारते परिंदों की उड़ानों पर पहरे हैं
ना मालुम सी बंदिशें हैं शब्दों पर जाने क्यों
अधरों पर रह रहकर खामोशी के पहरे हैं।।।
कामनी गुप्ता ***

Language: Hindi
489 Views
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