Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Sep 2024 · 1 min read

#मुक्तक-

#मुक्तक-
■ कल, आज और कल पर।
【प्रणय प्रभात】
“ग़फ़लतों की नींद जो सोते रहे हैं,
जाग के अक़्सर वही रोते रहे हैं।
कल हुए वो हादसे आगे भी होंगे,
हादसे हर दौर में होते रहे हैं।।”
😢😢😢😢😢😢😢😢😢

1 Like · 25 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सहज रिश्ता
सहज रिश्ता
Dr. Rajeev Jain
जीवन
जीवन
लक्ष्मी सिंह
आज दिवस है  इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
आज दिवस है इश्क का, जी भर कर लो प्यार ।
sushil sarna
वक़्त के साथ
वक़्त के साथ
Dr fauzia Naseem shad
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
मेरे दिल ❤️ में जितने कोने है,
शिव प्रताप लोधी
व्यथा दिल की
व्यथा दिल की
Devesh Bharadwaj
* नाम रुकने का नहीं *
* नाम रुकने का नहीं *
surenderpal vaidya
करवाचौथ
करवाचौथ
Neeraj Agarwal
पराक्रम दिवस
पराक्रम दिवस
Bodhisatva kastooriya
*
*"अक्षय तृतीया"*
Shashi kala vyas
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
कवि दीपक बवेजा
शब्द सुनता हूं मगर मन को कोई भाता नहीं है।
शब्द सुनता हूं मगर मन को कोई भाता नहीं है।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
पतंग को हवा की दिशा में उड़ाओगे तो बहुत दूर तक जाएगी नहीं तो
पतंग को हवा की दिशा में उड़ाओगे तो बहुत दूर तक जाएगी नहीं तो
Rj Anand Prajapati
वोट कर!
वोट कर!
Neelam Sharma
पिता
पिता
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
"अजीब दस्तूर"
Dr. Kishan tandon kranti
*बेटी को पलकों पर रखना, धन्यवाद दामाद जी (गीत)*
*बेटी को पलकों पर रखना, धन्यवाद दामाद जी (गीत)*
Ravi Prakash
हे ! अम्बुज राज (कविता)
हे ! अम्बुज राज (कविता)
Indu Singh
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
जो लिख रहे हैं वो एक मज़बूत समाज दे सकते हैं और
Sonam Puneet Dubey
मै थक गया हु
मै थक गया हु
भरत कुमार सोलंकी
"वक्त" भी बड़े ही कमाल
नेताम आर सी
गीतिका :- हमें सताने वाले
गीतिका :- हमें सताने वाले
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"की टूटे हुए कांच की तरह चकना चूर हो गया वो
पूर्वार्थ
फिर वही शाम ए गम,
फिर वही शाम ए गम,
ओनिका सेतिया 'अनु '
तक़दीर का ही खेल
तक़दीर का ही खेल
Monika Arora
2546.पूर्णिका
2546.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
कभी जिम्मेदारी के तौर पर बोझ उठाते हैं,
कभी जिम्मेदारी के तौर पर बोझ उठाते हैं,
Ajit Kumar "Karn"
उलझी हुई है जुल्फ
उलझी हुई है जुल्फ
SHAMA PARVEEN
गलियों का शोर
गलियों का शोर
PRADYUMNA AROTHIYA
"" *स्वस्थ शरीर है पावन धाम* ""
सुनीलानंद महंत
Loading...