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19 Aug 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

क्यूँ कर ये जीवन, यूँ ही व्यर्थ हो जाये
क्यूँ कर जीवन, सितारों विहीन हो जाये
क्यूँ कर चांद घर के आंगन का, पता भूल जाये
क्यूँ ना हम खुद, किसी के घर के आँगन का चांद हो जाएँ l

अनिल कुमार गुप्ता *अंजुम *

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