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3 Mar 2024 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक

ग़ज़ल कहते नहीं हैं हम,सदा एहसास लिखते हैं।
तुम्हारा नाम भी मितवा,ख़ुदा के पास लिखते हैं।
नहीं हम जानते लिखना,हमारे शब्द मामूली,
ज़रा-सी तृप्ति लिखते हैं,ज़रा-सी प्यास लिखते हैं।।

स्वरचित
डॉ .रागिनी स्वर्णकार(शर्मा)
इंदौर

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