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21 Feb 2023 · 1 min read

मुक्तक

मुक्तक
झूठ,फरेबी, मक्कारी के, निकल पड़े हैं धंधों पर।
असर नहीं होता है कोई,कभी अक्ल के अंधों पर।
गाड़ी,घोड़ा ,माल-खजाना, पाने की हसरत पाले,
गए अंत में जब दुनिया से,मात्र चार चढ़ कंधों पर।।
डाॅ बिपिन पाण्डेय

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