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11 Aug 2019 · 1 min read

मुक्तक

बेवज़ह ही मन में कुछ सपनें करबट बदल रहें हैं
हँसुआ और हथौड़े उठाने को हांथ मचल रहे हैं !
… सिद्धार्थ
***
ये जो इंक़लाबी रफ़्तार है अपने ढंग से आएगा
कभी मेरे कभी तेरे सर की बलि ले कर जायेगा !
…सिद्धार्थ

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
2 Likes · 1 Comment · 318 Views

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