Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jan 2017 · 1 min read

मुक्तक

बेक़रार लम्हों से जब बात होती है!
धीरे-धीरे दर्द की शुरुआत होती है!
खोजती है जिन्दगी जामे-पैमानों को,
मयकशी की जैसे तन्हा रात होती है!

#महादेव_की_कविताऐं’

Language: Hindi
526 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

अंजुली भर नेह
अंजुली भर नेह
Seema gupta,Alwar
उसने कहा,
उसने कहा, "क्या हुआ हम दूर हैं तो,?
Kanchan Alok Malu
श्रीराम कृपा रहे
श्रीराम कृपा रहे
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
धोखा देती है बहुत,
धोखा देती है बहुत,
sushil sarna
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
अल्फाजों रूह मेरी,
अल्फाजों रूह मेरी,
हिमांशु Kulshrestha
"आजादी जिन्दाबाद"
Dr. Kishan tandon kranti
बच्चे मन के सच्चे। ( Happy Children's day)
बच्चे मन के सच्चे। ( Happy Children's day)
Rj Anand Prajapati
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
😢कड़वा सत्य😢
😢कड़वा सत्य😢
*प्रणय*
(कहानी)
(कहानी) "सेवाराम" लेखक -लालबहादुर चौरसिया लाल
लालबहादुर चौरसिया लाल
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
माँ वीणावादिनी
माँ वीणावादिनी
Girija Arora
एक बार नहीं, हर बार मैं
एक बार नहीं, हर बार मैं
gurudeenverma198
कितनी ही दफा मुस्कुराओ
कितनी ही दफा मुस्कुराओ
सिद्धार्थ गोरखपुरी
सपनें अधूरे हों तो
सपनें अधूरे हों तो
सोनम पुनीत दुबे "सौम्या"
मतदान
मतदान
Aruna Dogra Sharma
समय आता है
समय आता है
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
संदूक पुरानी यादों का!
संदूक पुरानी यादों का!
Pradeep Shoree
छन्दों की भाषा
छन्दों की भाषा
आचार्य ओम नीरव
सपने में भी डर जाते हैं, उठ जाते हैं, चौंक रहे हैं।
सपने में भी डर जाते हैं, उठ जाते हैं, चौंक रहे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
ruby kumari
"आशा मन की"
।।"प्रकाश" पंकज।।
* पावन धरा *
* पावन धरा *
surenderpal vaidya
आगाज़
आगाज़
Vivek saswat Shukla
हर जौहरी को हीरे की तलाश होती है,, अज़ीम ओ शान शख्सियत.. गुल
हर जौहरी को हीरे की तलाश होती है,, अज़ीम ओ शान शख्सियत.. गुल
Shweta Soni
"पथ प्रिय रघुनंदन का"
राकेश चौरसिया
तेवरी : व्यवस्था की रीढ़ पर प्रहार +ओमप्रकाश गुप्त ‘मधुर’
तेवरी : व्यवस्था की रीढ़ पर प्रहार +ओमप्रकाश गुप्त ‘मधुर’
कवि रमेशराज
बौद्ध नैयायिक अथवा मैथिल नैयायिक
बौद्ध नैयायिक अथवा मैथिल नैयायिक
श्रीहर्ष आचार्य
2875.*पूर्णिका*
2875.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...