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14 Oct 2016 · 1 min read

मुक्तक : सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो ( पोस्ट १६)

सूर्य का जग में नवल उन्मेष हो ।
भ्रांति का कोई न मग अब शेष हो ।
हो सुशासन देश में संदेश यह —
मुस्कराता उल्लसित परिवेश हो ।।२!!

—– जितेंद्र कमल आनंद

Language: Hindi
383 Views
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