Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2019 · 2 min read

मुक्तक (संग्रह)

1
खूबसूरत हूँ मगर किरदार से
मैं जुड़ी रहती सदा आधार से
है न नफरत के लिये दिल में जगह
जीतना दिल चाहती हूँ प्यार से
2
जरा सा दिल का करार दे दो
जो जोड़ दे दिल वो तार दे दो
न चाहिए तुमसे कोई दौलत
हमें हमारा ही प्यार दे दो

3
नाव भी है नदी का किनारा भी है
कर रहा ये हमें कुछ इशारा भी है
आते हैं ज़िन्दगी में यूँ तूफान बहुत
पर हमें मिलता कोई सहारा भी है
4
छिपे हर राज से पर्दा हटाना छोड़ो भी
हमेशा बात को दिल से लगाना छोड़ो भी
कभी अपने गिरेबाँ में भी तो तुम झांकना
सदा ही दोष औरों के गिनाना छोड़ो भी
5

जब फैसले हमारे मुकद्दर के हो गये
तो मोम के थे बुत वही पत्थर के हो गये
चलती रही ये ज़िन्दगी भी अपनी चाल से
हम डोर छोड़ मोह की गिरधर के हो गये

6
उजाले खूब हैं बाहर मगर अंदर अँधेरे हैं ।
नहीं अब खिलखिलाता आदमी कितने झमेले हैं ।
खड़ी दीवार रिश्तों में, दरारें भी बहुत जिनमें
तभी अपनों में रहकर भी सभी रहते अकेले हैं
7

देख दर्पण भी हैरान सा हो गया
लग रहा उम्र का फासला हो गया
छीन बचपन जवानी बुढापा दिया
वक़्त का कर्ज सारा अदा हो गया
8

धोखे जीवन मे हमको रुलाते बहुत
पर सबक भी नये ये सिखाते बहुत
बीतती जा रही ज़िन्दगी की सुबह
साँझ के अब अँधेरे डराते बहुत
9

टूटते रिश्तों का अब जहां देखिये
घर को होते हुए भी मकां देखिये
बाग फूलों के जिसने लगाए यहाँ
है अकेला वही बागवां देखिये
10

गये जब भूल तुम हमको चहकते हम भला कैसे
गिरे पतझड़ के पत्तों से लहकते हम भला कैसे
तुम्ही से थी बहारें खुशबुओं से मन महकता था
हुये अब फूल कागज़ के महकते हम भला कैसे
11
हँसे बेटियाँ तो हँसे घर का आँगन
पढ़ें बेटियाँ तो सँवरता है जीवन
न बेटी कहीं बेटों से कम यहाँ है
हो संस्कारी दोनों तो खिलता है उपवन
12
मुस्कुराते हमको जीना आ गया
आंखों से ही गम को पीना आ गया
लड़खड़ाते भी नहीं हैं अब कदम
पीने का लगता करीना आ गया
13
रोते क्यों रहते सदा तकदीर तुम
भूल खुशियां याद रखते पीर तुम
जी लो जी भरके ये अपनी ज़िंदगी
छोड़ जाओगे यहीं जागीर तुम
14
तम ज़िन्दगी के आज तक देखो मिटे नहीं
चलती रही हवाएं ये दीपक जले नहीं
हमको पता नहीं खफा हमसे क्यों हो गये
महफ़िल में तो आये मगर हमसे मिले नहीं
15

जो मिले थे कभी अजनबी की तरह
हो गये अब वही ज़िन्दगी की तरह
हर निभाई कसम साथ छोड़ा नहीं
प्यार हमने किया बन्दगी की तरह ।

डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
3 Likes · 2 Comments · 1571 Views

Books from Dr Archana Gupta

You may also like:
ख्वाहिश
ख्वाहिश
अमरेश मिश्र 'सरल'
दीप बनकर जलो तुम
दीप बनकर जलो तुम
surenderpal vaidya
दादाजी (कुंडलिया)
दादाजी (कुंडलिया)
Ravi Prakash
निगाहें
निगाहें
जय लगन कुमार हैप्पी
■ आज का शेर....
■ आज का शेर....
*Author प्रणय प्रभात*
The Earth Moves
The Earth Moves
Buddha Prakash
करवा चौथ
करवा चौथ
Vindhya Prakash Mishra
एक वीरांगना का अन्त !
एक वीरांगना का अन्त !
Prabhudayal Raniwal
संगीत
संगीत
Surjeet Kumar
जीवन एक यथार्थ
जीवन एक यथार्थ
Shyam Sundar Subramanian
वह है बहन।
वह है बहन।
Satish Srijan
"ऐसा वक्त आएगा"
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-241💐
💐प्रेम कौतुक-241💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बुद्ध ही बुद्ध
बुद्ध ही बुद्ध
Shekhar Chandra Mitra
"बरसाने की होली"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
वक़्त पर तू अगर वक़्त का
वक़्त पर तू अगर वक़्त का
Dr fauzia Naseem shad
हर घर तिरंगा
हर घर तिरंगा
Dr Archana Gupta
***
*** " ये दरारें क्यों.....? " ***
VEDANTA PATEL
नियत समय संचालित होते...
नियत समय संचालित होते...
डॉ.सीमा अग्रवाल
The broken sad all green leaves.
The broken sad all green leaves.
Taj Mohammad
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
पौष की सर्दी/
पौष की सर्दी/
जगदीश शर्मा सहज
अति आत्मविश्वास
अति आत्मविश्वास
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
आने वाला कल दुनिया में, मुसीबतों का कल होगा
आने वाला कल दुनिया में, मुसीबतों का कल होगा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
ज़ख़्म दिल का
ज़ख़्म दिल का
मनोज कर्ण
-- बेशर्मी बढ़ी --
-- बेशर्मी बढ़ी --
गायक और लेखक अजीत कुमार तलवार
हमारा हौसला इश्क़ था - ग़ज़ल
हमारा हौसला इश्क़ था - ग़ज़ल
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
If life is a dice,
If life is a dice,
DrChandan Medatwal
तोड़ी कच्ची आमियाँ, चटनी लई बनाय
तोड़ी कच्ची आमियाँ, चटनी लई बनाय
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
छुपा लो मुझे तेरे दिल में
छुपा लो मुझे तेरे दिल में
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...