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28 Apr 2020 · 1 min read

मुकरियां

उसने अंग अंग महकाया
उससे ही खिल जाती काया
सफाई के रखे लाखों गुन
ऐ सखि साजन, नहिं सखि साबुन

बातों से सदा करता वार
हार कर भी नहिं माने हार
करता है वह अक्सर अपील
ऐ सखि साजन, नहिं वकील

गिरने पर है मुझे उठाया
स्वस्थ करे वह मेरी काया
पीड़ा मेरी सदा मिटाई
ऐ सखि साजन, नहीं दवाई

पल में सर्दी दूर भगाए
गर्मी का एहसास कराए
कांपता है जब कोई थर-थर
ऐ सखि साजन, नहिं सखि हीटर

व्याकुल मन को खूब सुहाता
अधरों से मेरे लग जाता
बुझाता है वह मेरी प्यास
ऐ सखि साजन, नहिं सखि गिलास

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
2 Likes · 2 Comments · 212 Views

Books from अरशद रसूल /Arshad Rasool

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