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21 Apr 2020 · 1 min read

मीरा के मन बसे कन्हैया

मीरा के मन बसे कन्हैया
बसे गोपाल के मन राधे,
प्रेम अनूठा रोग है जिसमें
पी बिन लागे सब आधे।
कोई सुँदर तन देखे
कोई धन के पीछे दौड़ लगाए,
पर जो ढूँढे प्रेम की लागी
मन से मन की धुन साधे।
जटिल नहीं पर बड़ा कठिन है
पिया प्रेम को पाना,
हर कोई सजधज के रिझाए
पिया मगर सीधे-साधे।
जोग लगा है मुझको जो
उसे रोग कहे ये जगवाले,
पर सब है ये जादू पिया का
मेरे ह्रदय से मन बाँधे।

जॉनी अहमद ‘क़ैस’

Language: Hindi
Tag: कविता
2 Likes · 215 Views
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