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5 Aug 2022 · 1 min read

विश्वासघात

मीठे लफ्जों मे लिपटी गठरी का बोझ, कुछ ज्यादा है,
नियत में खोट कितना नाप सके तराजू का इंतजार, कुछ ज्यादा है,
विश्वास की ओट में सुनहरे कल के पल दिखाना, कुछ ज्यादा है,
नजरे चुराए, गर्दन झुकाए मौकापरस्त का विश्वासघात, कुछ ज्यादा है।।

सीमा टेलर, छिम़पीयान‌‌‌ लम्बोर, चुरू, राजस्थान

Language: Hindi
Tag: कोटेशन
1 Like · 119 Views
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