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11 Jan 2022 · 1 min read

” मिलन फेस बुक मित्र का “

डॉ लक्ष्मण झा “परिमल”
===============
हमारी सोचों ने
हमें धूमिल कर दिया था
इन यंत्रों के प्रभावों से
मित्रों के करीब रहते
हमें दूर कर दिया था !!
मोबाइलों और लैपटॉप के
पर्दों पर छाये हम रहते थे
उनके विचारों ,
उनकी तश्विरों को
अहर्निश निहारा करते थे !!
कभी -कभी
हम भी कहते थे
“अवसर त मिलनक
संभव नहि भ सकत
तइयो आगाध प्रेम
लेखनी मे भेटैत रहत !”–
लोगों से भी कहते सुना
फेस बुकों के मित्रों से
मित्रता की आस ?
ये तो डिजिटल मित्र हैं
आज हैं ..कल छोड़
सकते हैं आपका साथ !!…
पर आज एक मित्र ने
सबके भ्रमों को तोड़ दिया !
पहुँच गए मेरी कुटिया
और आथित्य मेरा स्वीकार किया !!
मिले तो हम उनसे पहली बार
पर आभास
जन्म जन्मान्तर का होने लगा !
कृष्ण -सुदामा ना सही
पर एहसास कुछ
ऐसा ही होने लगा !!
मित्रता का मोल
हमारे इन यंत्रों में
सिमट सकता नहीं !
हो हमारी चाह मिलने की
तो कोई रोक सकता नहीं !!
==================
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
भारत

Language: Hindi
Tag: कविता
164 Views
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