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20 Jan 2024 · 1 min read

मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है

मिलने के समय अक्सर ये दुविधा होती है
उससे छुपकर ही देखने में सुविधा होती है
मुलाक़ात करूं या बात करूं मैं समझ नहीं पाता हूं
मन करता है बैठे रहूं जब उसके पास बैठ जाता हूं

– केशव

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