Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 1 min read

– मिलकर उससे

– मिलकर उससे

तन पुलकित
हर्षित मन,
स्मृति जब उसकी आई।
उमड़ उल्लास
सरस विकास,
पर नैन नीर जल भर लाई।
खूबसूरत अहसास
कितना खास !!
न जाने मैं क्यूं ऐसा भरमाई??
आंख का तारा
मन का प्यारा,
लगा क्यूं वो ये समझ ना पाई।
पाक सरस साथ
हुआ अति विश्वास,
मुख देख उसका जान यही पाई।
– सीमा गुप्ता अलवर

1 Like · 153 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

आज के समय के नेता
आज के समय के नेता
Sonit Parjapati
जय
जय
*प्रणय*
मां की रोटी
मां की रोटी
R D Jangra
3643.💐 *पूर्णिका* 💐
3643.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
चलते-चलते
चलते-चलते
NAVNEET SINGH
ये बटोही
ये बटोही
Dushyant Kumar Patel
तेरा बना दिया है मुझे
तेरा बना दिया है मुझे
gurudeenverma198
एक चुटकी सिन्दूर
एक चुटकी सिन्दूर
Dr. Mahesh Kumawat
याद रहेगा यह दौर मुझको
याद रहेगा यह दौर मुझको
Ranjeet kumar patre
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Dr. Bharati Varma Bourai
सुख दुख
सुख दुख
Sûrëkhâ
"अकेलापन"
Lohit Tamta
तारा टूटा
तारा टूटा
मनोज कर्ण
गर भाग्य मेरे तू नहीं कर एक रेखा खींच दूँ
गर भाग्य मेरे तू नहीं कर एक रेखा खींच दूँ
कविराज नमन तन्हा
*भूल कर इसकी मीठी बातों में मत आना*
*भूल कर इसकी मीठी बातों में मत आना*
sudhir kumar
"रौनक"
Dr. Kishan tandon kranti
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
Phool gufran
#हे राम मेरे प्राण !
#हे राम मेरे प्राण !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
जीवन में संघर्ष
जीवन में संघर्ष
महेश चन्द्र त्रिपाठी
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
- लोग भूतकाल नही वर्तमान देखते है -
- लोग भूतकाल नही वर्तमान देखते है -
bharat gehlot
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
*जीवन का सार यही जानो, सच्चाई जीवन में घोलो (राधेश्यामी छंद
Ravi Prakash
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
तुम आशिक़ हो,, जाओ जाकर अपना इश्क़ संभालो ..
पूर्वार्थ
बारिश की बूंदों ने।
बारिश की बूंदों ने।
Taj Mohammad
प्यासी तड़प
प्यासी तड़प
C S Santoshi
कर
कर
Neelam Sharma
ईमानदारी का सबूत
ईमानदारी का सबूत
Sudhir srivastava
जो मिल ही नही सकता उसकी हम चाहत क्यों करें।
जो मिल ही नही सकता उसकी हम चाहत क्यों करें।
Rj Anand Prajapati
जहन का हिस्सा..
जहन का हिस्सा..
शिवम "सहज"
भ्रम रिश्तों को बिखेरता है
भ्रम रिश्तों को बिखेरता है
Sanjay ' शून्य'
Loading...