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16 Feb 2024 · 2 min read

मिट्टी से मिट्टी तक का सफ़र

विषय _ मिट्टी से मिट्टी तक का सफ़र

जीवन के सारे क़िरदार निभाकर आज चैन की नींद सोई है वो
किसी को ना सुनना , किसी से न कुछ कहना , ना जाने कहां खोई है वो

हर पल गूंजती है उसकी हंसी आज उसके चेहरे पर खामोशी है
ना जाने कौनसा सुकून पा लिया है उसने जो आज ऐसी बेहोशी है

जीवन के हर पड़ाव पर उसने अपने किरदार को जीवंत रखने की कोशिश जारी रखी थी
उसके अंतर्मन की व्यथा लिखूं अगर तो यूं मानो ना जाने भगवान ने कौनसी कलम से उसके क़िस्मत की कहानी लिखी थी

उतार चढ़ाव जैसे पहलू में ख़ुद को सुलझाने में लगी रहती थीं
उसका अपना रिश्ता कौन था समझ नहीं आया लेकिन वो ख़ुद को सबका कहती थी

जो उसके खिलखिलाने को लेकर नाराज़ रहते थे , आज आंसू बहा रहे है
जैसे लगी हो कोई चोट भारी ऐसे दर्द से कहरा रहे है
जीते जी जो आगे बढ़ते देख नहीं पाया आज वही उसके जाने का मातम मना रहे है
अभी तक समझ ही नहीं आया वो इतना दुःख किसको दिखा रहे हैं।

उसने तो सुकून की तलाश में सुकून को पा लिया है
मिट्टी से आई और मिट्टी ने वापिस उसे बुला लिया है
जीवन तो जन्म मरण का खेला है
यहां ऐसा कोई नहीं जिसने दर्द नहीं झेला है

यहां कोई पहले तो कोई बाद में जाएगा ही
झूठ का ही सही मगर दर्द तो दिखायेगा ही
गर सच में उसे खोने का दर्द हुआ है
तो एक पेड़ लगाकर आना उस शमशान में जहां अग्नि वायु ने उसको छुआ है

वो फिर उस पौधे के रूप में तुमको नज़र आएगी
तुम देने आना तो सही जल रूपी श्रद्धांजलि वो तुम्हें हंसती हुई नजर आएगी

क्या लेकर आए थे जो तुम्हारा सब कुछ खो जाएगा
मिट्टी से मिट्टी का सफ़र एक बार फिर शुरू हो जाएगा
मिट्टी से मिट्टी का सफ़र एक बार फिर शुरू हो जाएगा।

Language: Hindi
1 Like · 160 Views
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