मानव स्वरूपे ईश्वर का अवतार ” पिता ”

हैं उत्तम किरदार सँसार का करता चरितार्थ हैं
वो पिता हैं जो बच्चों के तक़दीर का विधाता है..!!
जिंदा होने का एहसास सांसो की रवानी पिता हैं
जो रखता स्नेह समर्पण ओर फौलादी तनमन हैं..!!
पिता की तारीफ़ करें कैसे कोई अल्फाज नहीं हैं
तभी तो तात का वर्णन कोई लिख पाता नही हैं..!!
संकट से न डरा आफतसे न मुहं मोड हारता हैं
वो पिता हैं जो संघर्ष कर अपने आंसू छुपाता हैं..!!
व्यवसाय जैसा हो महेनत करने से नही शर्माता हैं
औलाद के सपनों को साकार करना उसका ध्येय हैं..!!
सुख-दुख की छाँवमें फर्ज ईमानदारी से निभाता हैं
वो पिता ही परिवार कुटुंब का मुख्य आधार स्तंभ हैं..!!
मां का सिंदूर संतान की पहचान त्यौहार की शान हैं
जिद्द भी पूरी हो जाती जो सर पर पिता का हाथ हैं..!!
पिता जीवन को सिंचने वाला छलकता स्नेहसागर हैं
जो पीड़ा रूपी लहरों को खुद-ब-खुद पी जाता हैं..!!
कुदरत का ऐ अनमोल उपहार जीवन की सार्थकता हैं
संसारमें बंधन की नाजुक डोर समाज की धरोहर हैं..!!
सृष्टिकर्ता की बेहतरीन रचना जग को महेकाता हैं
वो पिता वास्तवमें मानव स्वरूपे ईश्वर का अवतार हैं..!!
डॉ. अल्पा. एच. अमीन
गुजरात (अमदाबाद )