Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jul 2021 · 1 min read

मातृभूमि

मातृभूमि माई हई, रखिहऽ हरपल ध्यान।
माई की सम्मान में, जान करऽ कुर्बान।।

#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’

Language: Bhojpuri
277 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
।। आशा और आकांक्षा ।।
।। आशा और आकांक्षा ।।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
*जाते देखो भक्तजन, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
*जाते देखो भक्तजन, तीर्थ अयोध्या धाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
माँ तुम सचमुच माँ सी हो
माँ तुम सचमुच माँ सी हो
Manju Singh
हसरतों की राह में, यूँ न खुद को खोते रहो,
हसरतों की राह में, यूँ न खुद को खोते रहो,
पूर्वार्थ
दोहा -
दोहा -
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
हमेशा एक स्त्री उम्र से नहीं
शेखर सिंह
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
" मेरी ओकात क्या"
भरत कुमार सोलंकी
ओ! मेरी प्रेयसी
ओ! मेरी प्रेयसी
SATPAL CHAUHAN
2673.*पूर्णिका*
2673.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिन्दगी यह बता कि मेरी खता क्या है ।
जिन्दगी यह बता कि मेरी खता क्या है ।
Ashwini sharma
सारी दुनिया में सबसे बड़ा सामूहिक स्नान है
सारी दुनिया में सबसे बड़ा सामूहिक स्नान है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
निकलो…
निकलो…
Rekha Drolia
अपना चेहरा
अपना चेहरा
Dr fauzia Naseem shad
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
गुलशन की पहचान गुलज़ार से होती है,
Rajesh Kumar Arjun
यायावर
यायावर
Satish Srijan
पुस्तक
पुस्तक
Vedha Singh
मेरा गांव अब उदास रहता है
मेरा गांव अब उदास रहता है
Mritunjay Kumar
राह हमारे विद्यालय की
राह हमारे विद्यालय की
bhandari lokesh
हयात कैसे कैसे गुल खिला गई
हयात कैसे कैसे गुल खिला गई
Shivkumar Bilagrami
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
जब इंसान को किसी चीज की तलब लगती है और वो तलब मस्तिष्क पर हा
Rj Anand Prajapati
"मीठी यादें"
Dr. Kishan tandon kranti
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
सत्य छिपकर तू कहां बैठा है।
Taj Mohammad
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
जलाना आग में ना ही मुझे मिट्टी में दफनाना
VINOD CHAUHAN
मन में हलचल सी उठे,
मन में हलचल सी उठे,
sushil sarna
वादा
वादा
Bodhisatva kastooriya
रुपया दिया जायेगा,उसे खरीद लिया जायेगा
रुपया दिया जायेगा,उसे खरीद लिया जायेगा
Keshav kishor Kumar
"मलाईदार विभागों की खुली मांग और बिना शर्त समर्थन के दावे...
*प्रणय प्रभात*
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
फागुन आया झूमकर, लगा सताने काम।
महेश चन्द्र त्रिपाठी
तुम्हारी चाय
तुम्हारी चाय
Dr. Rajeev Jain
Loading...