Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Apr 2023 · 1 min read

मातृभाषा

थकती हैं संवेदनाएँ जब
तुम्हारा सहारा लेता हूँ,
निराशा भरे पथ पर भी
तुमसे ढाढ़स ले लेता हूँ,
अवसाद का जब कभी
उफनता है सागर मन में
मैं आगे बढ़कर तत्पर
तेरा आलिंगन करता हूँ,
सिकुड़ता हूँ शीत में
जब कभी एकाकीपन की
खींच लेता हूँ चादर सा तुम्हें
गुनगुना मन कर लेता हूँ ।
जब कभी भी घबराता हूँ
अन्जान अक्षरों की भीड़ में,
ओ माँ, मेरी मातृभाषा,
तेरी गोद में जा धमकता हूँ ।।

@दीपक कुमारश्रीवास्तव नील पदम्

Language: Hindi
6 Likes · 1 Comment · 394 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
View all
You may also like:
अंततः कब तक ?
अंततः कब तक ?
Dr. Upasana Pandey
होली आने वाली है
होली आने वाली है
नेताम आर सी
स्वयं को सुधारें
स्वयं को सुधारें
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
गीत
गीत
Pankaj Bindas
2881.*पूर्णिका*
2881.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
जिन्दगी की शाम
जिन्दगी की शाम
Bodhisatva kastooriya
■ सीढ़ी और पुरानी पीढ़ी...
■ सीढ़ी और पुरानी पीढ़ी...
*प्रणय प्रभात*
मेरी कल्पना पटल में
मेरी कल्पना पटल में
शिव प्रताप लोधी
मानव तन
मानव तन
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – आविर्भाव का समय – 02
असुर सम्राट भक्त प्रह्लाद – आविर्भाव का समय – 02
Kirti Aphale
अधूरा प्रयास
अधूरा प्रयास
Sûrëkhâ
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
रमेशराज के पशु-पक्षियों से सम्बधित बाल-गीत
कवि रमेशराज
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
"यादें" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
अरे...
अरे...
पूर्वार्थ
संस्कारों के बीज
संस्कारों के बीज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
Ranjeet kumar patre
*पुस्तक समीक्षा*
*पुस्तक समीक्षा*
Ravi Prakash
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
विचार-विमर्श के मुद्दे उठे कई,
Ajit Kumar "Karn"
प्रेम
प्रेम
Pratibha Pandey
इंसान को इतना पाखंड भी नहीं करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी उसे
इंसान को इतना पाखंड भी नहीं करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ी उसे
Jogendar singh
लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।
लोकतन्त्र के मंदिर की तामीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
प्रेम में राग हो तो
प्रेम में राग हो तो
हिमांशु Kulshrestha
“ जीवन साथी”
“ जीवन साथी”
DrLakshman Jha Parimal
*तन्हाँ तन्हाँ  मन भटकता है*
*तन्हाँ तन्हाँ मन भटकता है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चला मुरारी हीरो बनने ....
चला मुरारी हीरो बनने ....
Abasaheb Sarjerao Mhaske
बाण मां के दोहे
बाण मां के दोहे
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
इस जीवन का क्या है,
इस जीवन का क्या है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
ज़िंदगी के मर्म
ज़िंदगी के मर्म
Shyam Sundar Subramanian
Loading...